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नमस्कार!
काफ़ी दिनों आप सब से दूर रहा, उसके लिए खेद
वास्तव मे कॉलेज की वजह से समय ही नही मिल पाता…
पर इसी बीच से एक मित्र के आग्रह की वजह से आप सब से जुड़ने का दुबारा अवसर मिला..
(उसे किसी के प्रणय निवेदन का जवाब देना था तो उसने मुझसे कुछ लिखने को कहा)
आपकी प्रतिक्रियाएं आमंत्रित हैं…
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जो सुनना था तुमको कब से,
जो कहना था हमको तब से,
लो आज कहे मैं देता हू,
मुझको भी मोहब्बत है तुमसे..
मुझको भी मोहब्बत है तुमसे…
.
.
अच्छा लगता है मुझको भी
कर लेना फोन तुम्हे सुन लो
घंटों गुज़ार देना कहने मे यूँ ही
की “कुछ और कहो”..
तेरा गुस्से से कहना फिर
की मैं ही कहती रहती हूँ,
कुछ तुम भी कभी कहो हमसे..
कुछ तुम भी कभी कहो हमसे..
.
.
उसके प्रतिउत्तर मे निश्छल
कहता हूँ तुमसे साफ़ प्रिये..
मुझको भी मोहब्बत है तुमसे..
मुझको भी मोहब्बत है तुमसे…
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