Ashutosh_Shukla
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मेरे दिल के हर इक कोने मे
अब याद तुम्हारी बसती है
तुम रहती थी जिस कोने मे
वो कोना अब भी भरा हुआ
बस अंतर इतना पहले तुम थी
अब यादों की कश्ती है…
मेरे दिल के हर इक कोने मे…. (१)
तुम रहती थी तो महल था ये
और फुलवारी थी चारों तरफ
तुम टहला करती चारो तरफ
थी फुलवारी मे रौनक तब
बीत गया प्यारा बसंत वो
फुलवारी अब उजड़ गयी
वो महल जो था सोने वाला
अब वो बंजर सी बस्ती है
मेरे दिल के हर इक कोने मे….(२)
पर पतझड़ मे हर एक पेड़
सोचा करता है यही खड़ा
आएगा फिर पावन बसंत
लहराएगा उपवन उजड़ा
बस यही सोंच मेरे दिल का
एक पौधा भी मुस्काता है
कहता है मत हो उदास
बीता बसंत फिर आता है..
ये सब सुनकर दिल की बगिया
फिर से मुस्काती हँसती है
मेरे दिल के हर इक कोने मे……(३)
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