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फिर चली जाना..

Ashutosh_Shukla
Ashutosh_Shukla
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आज फिर मिली तो जल्दी में?

अरे सुनो, थोड़ी देर रूको…फिर चली जाना

पास बैठो ना…..पहले की तरह..

कुछ बातें करलो…फिर चली जाना

कबसे तरसी हैं निगाहें,

तेरी एक झलक पाने को

ज़रा इनकी भी प्यास बुझादो…फिर चली जाना

बहुत याद आई है..

तेरी कोमल हथेलियों की छुअन..

एक बार फिर वो एहसास करा दो…फिर चली जाना

आदत सी हो गयी है

हर पल तुझे देखने की..

ये आदत च्छुडा दो…फिर चली जाना

अब तो लोग भी करते हैं

बस हमारी ही बातें..

उन सब को समझा दो…फिर चली जाना

अरे सुनो तो..अब आज भी जाने की जल्दी मे हो?

ठहरो….अपना हाल सुना लूँ..फिर चली जाना

कुछ रो लूँ, तुम्हारे साथ गा लूँ..फिर चली जाना..

आज तुम कुछ नही बोलोगी?

कम से कम कंधे पे सर रख के

दिन भर क्या किया वही बता दो..फिर चली जाना..

अच्छा नही लगता

तेरा हरदम यूँ कहना

क़ि देर हो रही है…चलती हूँ..

अरे बस थोड़ी देर और…फिर चली जाना

जी तो करता है रोक लूँ तुम्हे ये कहके

क़ि तुम मेरी हो….मेरे पास रहो..

कहीं नही जाना…कहीं नही जाना..

पर तेरा जाते जाते

यूँ होठों को होठों से छू के कहना

की फिर मिलूंगी…..रोक लेता है कुछ कहने से..

इसलिए ..जाओ पर सुनो..

कल फिर आना..कल फिर आना..

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