Ashutosh_Shukla
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मैने कहा अधर अद्वितीय हैं आपके,
वो बोले सब तो नयनो की प्रसंशा करते हैं,
मैने कहा हमने वो देखा जो सबने नही देखा,
वो बोले सब तो यही कहते हैं…..
मैने पूछा क्या आपको हम मे और सब मे
कोई फ़र्क नही नज़र आता?
बोले ये वो फ़र्क है जो ज़ुबान से नही बताया जाता,
ये वो भावना है जिसका है सिर्फ़ एहसास कराया जाता…
मैने कहा क्या मुझे भी होगा ये एहसास कभी?
फिर वो हुआ जिसकी मुझे उम्मीद तो थी ,
और मेरे मन मे इच्छा बन के दबी थी
पर हिम्मत ना हुई कभी…
कितना कोमल स्पर्श था उन अधरो का……..
ना भूला हू ना भूलूंगा कभी…….
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