Ashutosh_Shukla
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सोचू मै क्यू रूठ गये
जो जान छिड़कते थे हम पे
दो रूह जो अब टकराती नही
थी एक अभी कुछ दिन पहले..
ये नयन जो हैं तरसा करते
उन दो नयनो के दर्शन को,
जो करते थे दीदार हमेशा प्रियतम का
कुछ दिन पहले…..
कितना कोमल स्पर्श था उन अधरो का जब,
बिन माँगे मोहब्बत मिलती थी
बस अभी अभी कुछ दिन पहले…
ये अधर जो हैं तरसा करते
उन दो अधरो के चुंबन को,
वो लट जो थी उलझी रहती
सुलझाने को उनकी उलझन को,
स्पर्श प्रथम उन अधरो का
था मिला मुझे एक उपवन मे,
दिल अब भी नही भूला है उसे
ना भूलेगा इस जीवन मे
मन मेरा नही उनका भी यही
कहता होगा मन ही मन मे
फिर क्यू करते हैं दिखावा वो
उस दूरी की जो है ही नही
वो आज भी मेरे हैं
और कल भी बस मेरे ही रहेंगे
जो मेरे थे बस मेरे थे
कुछ दिन पहले कुछ दिन पहले….
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